रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा
किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा
Category: बेवफा शायरी
कोशिश करता हूँ
कोशिश करता हूँ कि अंधेरे खत्म हो लेकिन,
कहीं जुगनू नही मिलता, कहीं चाँद अधूरा है।
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे जाने के बाद सुकून से
सो नहीं पाया कभी.
मेरी करवटों में रेगिस्तान सा
खालीपन पसरा रहता है
जब तुम पास होते हो तो कोई
शिकायत नहीं होती किसी से भी.
बेवफाई उसकी दिल से
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।
टूटने लगे हौसले तो
टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…
सुनहरे ख्वाबो में
सुनहरे ख्वाबो में जो लिहाफ बार बार पहना
ताबीर में वो मखमल जला जला सा लगता है।
रहने दे कुछ बाते
रहने दे कुछ बाते यूं ही अनकही सी,
कुछ जवाब तेरी मेरी ख़ामोशी मे अटके ही अच्छे है़।
काश मेरा घर
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
मोहब्बत न सही दीदार तो नसीब होता।।।
मुहब्बत शोर है
मुहब्बत शोर है तो शोर मत कर
इबादत है तो फिर, कुछ और मत कर
लुढ़क जाता हूँ
लुढ़क जाता हूँ अक्सर तुझमें..
तेरे इश्क़ सी ढलान; कहीं और पाता नहीं हूँ मैं…