जिंदगी पर बस

जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं…
बहुत मजबूत रिश्ते थे मेरे,,,
पर बहुत कमजोर लोगों से…

इतनी बिखर जाती है

इतनी बिखर जाती है तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे..!
की लोग पुछने लगते है “इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी..??