जन्नत मैं सब कुछ हैं

जन्नत मैं सब कुछ हैं मगर मौत नहीं हैं .. धार्मिक किताबों मैं सब कुछ हैं मगर झूट नहीं हैं दुनिया मैं सब कुछ हैं लेकिन सुकून नहीं हैं इंसान मैं सब कुछ हैं मगर सब्र नहीं हैं|

मनाने की कोशिश

मनाने की कोशिश तो बहुत की हमनें…पर जब वो हमारे लफ़्ज ना समझ सके.. तो हमारी खामोशियों को क्या समझेंगे|

ताल्लुक़ कौन रखता है

ताल्लुक़ कौन रखता है
किसी नाकाम से…!

लेकिन, मिले जो कामयाबी
सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं…!

मेरी खूबी पे रहते हैं यहां,
अहल-ए-ज़बां ख़ामोश…!

मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो,
गूंगे बोल पड़ते हैं…!!