सोज़-ए-निहाँ

हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए,हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए…
ना-मुरादी अपनी किस्मत गुमराही अपना नसीब,कारवाँ की खैर हो हम कारवाँ तक आ गए..

प्यार के ख़त

कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई,आप कहिएगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई…
‘पास-बुक’ पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है,प्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई..

जो दिल को

जो दिल को अच्छा लगता है, उसी को
अपना कहता हूँ
,मुऩाफा देखकर रिश्तो की सियासत नहीं
करता!!

समझ नहीं आता

समझ  नहीं आता जिंदगी तेरा फैसला,
एक तरफ तू कहती है, “सबर का फल मीठा होता है”
और
दूसरी तरफ कहती हो की “वक्त किसी का इंतजार नहीं करता

ज़िन्दगी में आते हैं

चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं;
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं;,
बच के रहना इन हुस्नवालों से यारो;
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं।