मोहब्बत तो पाक थी है और रहेगी
शर्मिंदा तो इसे खोखले रिवाज़ों और दोगले लोगों
ने कर रखा है
Category: बेवफा शायरी
मुझे भी आरक्षण चाहिए
मुझे भी आरक्षण चाहिए इश्क की इस दुनिया में !
पेशा मुहब्बत है और जात से आशिक हूँ..!
दिखावे की मोहब्बत
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर…,, ये
दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर
होगी !!
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर,
हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो….!!
कोई इल्ज़ाम रह गया
कोई इल्ज़ाम रह गया हैं, तो वो भी दे दो
हम तो पहले से बुरे थे, अब थोड़े और सही..
अहसास की शिद्दत
नजदीक आ के देख मेरे अहसास की शिद्दत,
ये दिल कितना धड़कता है, तेरा नाम आने पर
मोहब्बत का शोर
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ,
मेरे दिल को बनाए कितना विभोर ,
मैं जब भी उसे अपने कानों में दोहराती ,
तेरी कसम , तेरे नज़दीक और आती ,
बहुत आशिकाना था वो एक शोर ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
वो रातों की तन्हाई का एक नज़ारा ,
जिसमे दोनों का दिल था सिर्फ बेचारा ,
वो तेरी कहानी अपने लबों से सुनाना ,
वो मेरी कहानी मेरे लबों से सुनते जाना ,
बहुत रंगीन था वो एक दौर ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
उस शोर में थी दो दिलों की बेचैनी ,
जिसमे एक-दूजे को थी अपनी चाहत देनी ,
जिसमे थे अरमानों के पिघलते साए ,
ना रुकने वाले तूफ़ान तब थे आए ,
बहुत दिलकशी का था वो एक मोड़ ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
मेरे अंदर की गर्मी तब जली थी तेरे आगे ,
उस शोर में भी तूने सुने थे मेरे वादे ,
तब लफ़्ज़ों पर कोई काबू नहीं था ,
उस रात सब कुछ बेकाबू हुआ था ,
बहुत सुरीले थे वो कुछ बोल ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
मैं सुनने को तेरे दिल के दरवाज़ों का शोर ,
खड़ी थी दरवाज़े के पीछे छिप के चितचोर ,
तू सुनाने लगा जब मुझे अपनी बेहयाई ,
मैं गिराने लगी अपनी शर्म ~ ओ ~ हया की परछाई ,
बहुत नाज़ुक सा था वो एक जोड़ ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
उस शोर में मेरी हँसी दब गई थी ,
उस शोर में तेरी हँसी मिल गई थी ,
उस शोर में साँसों का तूफाँ उठा था ,
उस शोर में धड़कनों पर पहरा लगा था ,
बहुत गहरा था वो जवानी का जोर ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
मैं जब भी तुझे भुलाने की सोचूँ ,
उस शोर के ना मिलने की तड़प से मचलूँ ,
जिसमे हम दोनों फना जब हुए थे ,
सारी क़ायनात के दर्शन तब हुए थे ,
बहुत नशीली थी उस शोर की वो होड़ ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ,
मेरे दिल को बनाए कितना विभोर ,
मैं जब भी उसे अपने कानों में दोहराती ,
तेरी कसम , तेरे नज़दीक और आती ,
बहुत आशिकाना था वो एक शोर ,
वो तेरी-मेरी मोहब्बत का शोर ।।
यादे पुरानी रह गयी
तेरी मुहब्बत अब बस कहानी रह गयी
शहर छूट गया यहाँ यादे पुरानी रह गयी
कोई पूछे जो “सोनी” की खैरियत तो ,
कहना वह दीवाना था और उस की दीवानगी रह गयी
नाम ही काफी है।
बंदूक तो हम शौक़ के लिए रखते है
खौफ़ के लिए तो हमारा नाम ही काफी है।
तक़लीफ़ लोगों को
सवालज़हर का नहीं था,
वो तो मैं पी गया ..तक़लीफ़
लोगों को तब हुई …जब मैं
जी गया..!!!