जब से तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है|
Category: बेवफा शायरी
पता नहीं होश में हूँ
पता नहीं होश में हूँ या बेहोश हूँ मैं,
पर बहोत सोच समझकर खामोश हूँ मैं…
ये महज़ इत्तेफाक है
ये महज़ इत्तेफाक है,या मेरी खता…
आज फ़िर किसी को ‘भा’ गया हूँ मैं !
मेरी नज़र में
मेरी नज़र में तो सिर्फ तुम हो, कुछ और मुझको पता नहीं है तुम्हारी महेफिल से उठ रहा हूँ, मगर कहीं रास्ता नहीं है|
बहुत अन्दर तक
बहुत अन्दर तक तबाही मचाता है…..
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वो आंसू जो आँखों से ‘बह’ नहीं पाता है ….!!!
शायरी के शोंक ने
शायरी के शोंक ने इतना तो काम कर दिया,
जो नहीं जानते थे उनमें भी बदनाम कर दिया।।
मुड़ के देखा तो
मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा
दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|
फ़लक़ पर जिस दिन
फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है
एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।
तरीका न आये
तरीका न आये पसंद हो जाए न खता हमसे अब
तुम ही बता दो वैसे ही करूँगा इश्क तुमसे अब|
यादों के फूल
यादों के फूल खिलते रहते हैं वक्त की शाखों पर
कुछ खालीपन रहता है…इन भरी भरी आंखो में…