ग़म बिक रहे थे मेले में ख़ुशियों के नाम पर
मायूस हो के लौटे हैं हर इक दुकाँ से हम..
Category: बेवफा शायरी
अब तो शराब ही
अब तो शराब ही से बुझाने लगे हैं प्यास..
लेने लगे हैं काम यक़ीं का गुमाँ से हम..
डूब कर सूरज ने
डूब कर सूरज ने, मुझे और भी तन्हा कर दिया…
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साया भी अलग हो गया,मेरे अपनो की तरह…
बहुत करीब से
बहुत करीब से अंजान बन के गुज़रे हैं वो….
जो बहुत दूर से पहचान लिया करते थे…..
तुम हवा बन सको
तुम हवा बन सको , नाप लू में गगन
पर में कैसे लडू , तेज़ तूफ़ान से
और छोड़ा अगर तुमने तीर ए नज़र
ये परिंदा चला जायेगा जान से|
ना दिल से होता
ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है;
ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है;
पर प्यार करके प्यार ही मिले;
ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है।
सर में दर्द का बहाना
सर में दर्द का बहाना करके,
हम टूट के रोते है तेरी यादों में अक्सर|
देखते हैं मेरा
देखते हैं मेरा बुढ़ापा किस के हिस्से में पड़े,
मेरे बच्चे कर रहे हैं घर के बटवारे की बात…
अदा-ए-मोहब्बत
अदा-ए-मोहब्बत सजदा-ए-इश्क,
नाम कुछ भी हो… मतलब तुम्ही से है|
तहजीब की मिसाल
तहजीब की मिसाल गरीबो के घर में हैं ….
दुपट्टा भले ही फटा हुआ हो, मगर होता उनके सर पे हें !!