सोचता हूँ धोखे से जहर दे दूँ, सारी ख्वाहिशो को दावत पे बुला कर।।
Category: प्यारी शायरी
तुम एक बार पुछ लो
सुनो ! तुम एक बार पुछ लो की कैसा हुँ,
घर में पडी सारी दवाइयाँ फेंक ना दू तो कहना..
हमने उसको वहाँ भी
हमने उसको वहाँ भी जाकर माँगा था,जहाँ लोग सिर्फ अपनी खुशियां मांगते है|
मौजों ने सहारा दिया है
मौजों ने सहारा दिया है कभी-कभी
तूफां में किनारा मिला है कभी-कभी
दिल खुद से बेनियाज़ रहा
तेरी याद में
ऐसा भी वक्त़ हमने
गुजारा है कभी-कभी
दिल में भड़क उठी है
ग़म-ए-बेकसी की आग
भड़का है आरजू का
गगरा कभी-कभी
एक बेवफा की याद में
नक्शे ज़हन पर
धुंधला सा एक नक्श
उभरा है कभी-कभी|
जी में जो आती है
जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं.
तेरी यादो का सैलाब
वक़्त-बेवक़्त तेरी यादो का सैलाब तौबा,
बहा ले जाता है ,सुकूं मेरी तन्हा रातो का|
ज़माने के काम
हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आये
जब सूखने लगे तो जलाने के काम आये
तलवार की नयाम कभी फेंकना नहीं
मुमकिन है दुश्मनों को डराने के काम आये
कच्चा समझ के बेच न देना मकान को
शायद कभी ये सर को छुपाने के काम आये।
जीने की लिए
जीने की लिए जैसे एक मुस्कुराहट ही काफी है
मरने की लिए वैसे ही एक गम की काफी है
कभी कभी एक गम पर एक मुस्कान ही काफी है
उसी तरह अगर मुस्कान अगर गम से पिछड़ जाए
वो गम उसे वहां ले जाता है जहाँ उसे नही जाना चाहिए|
हुआ करता था
हुआ करता था एक ‘आशीक’……..अब लोग उसे, शराबी कहते है …
क्या करेंगे मुस्कुराहट को
क्या करेंगे मुस्कुराहट को ले कर
अब तो बरसो से गम की बरसात में
जीने की आदत सी ही गई है|