तुझे क्या देखा,
खुद को भूल गए हम इस कदर..
कि अपने ही घर आये,
औरों से रास्ता पूछकर…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुझे क्या देखा,
खुद को भूल गए हम इस कदर..
कि अपने ही घर आये,
औरों से रास्ता पूछकर…!!
दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं, दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है !!
ये जलजले यूँ ही बेसबब नहीं आते..
ज़रूर ज़मीन के नीचे कोई दीवाना तड़पता होगा…
बादल हो या बियर का नशा… अचानक से छा ही जाता है…
प्यार हो या चेहरे पे पिंपल…सबकी नज़र मे आ ही जाता है..
दाँत का दर्द हो या गर्ल फ्रेंड की शादी, आँखो मे आँसू आ ही जाते है….
मैं उसकी आँख के हर खवाब में कुछ रंग भर पाऊँ
मेरे अल्लाह मुझको सिर्फ इतनी हैसियत देना
Zaalim boltay he log mere lafzo’n ko Db..
Kya bataoon onko ye ek qaatil ki anayat he..!”
बिन तेरे मुझको ज़िंदगी से ख़ौफ़ लगता है, किश्तों में मर रहा हूँ रोज़ लगता है……..
वो मुझसे रिश्ता तोड़ कर
चली गयी,
बस ये कहकर,
मैं तो तुमसे मोहब्बत सीखने आई थी,
किसी और के लिए..!!
काश! मैं ऐसी बात लिखूँ तेरी याद में
तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में..
बड़ी कशमकश में हूँ बच्चो को क्या तालीम दूँगा, मुझे सिखाया गया था कुछ और मेरे काम आया कुछ और………