इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
ऊपर जिसका अंत नही उसे आंसमा कहते हैं और इस जंहा मे जिसका अंत नही उसे मां कहते हैं
छू ना सकूँ आसमान ना सही
सबके दिलों को छू जाऊँ तमन्ना बस इतनी सी है
खुद पे नाज़ करना तुम्हारा हक़ है..,
क्योंकि…..
.
मैं तो नसीब वालों को ही
याद करता हूँ।
वास्ता नहीं रखना तो नज़र क्यों रखते हो,,,
किस हाल में हु जिंदा , खबर क्यों रखते हो… ..!!
हम ख़ुशबू जैसे लोग है,
बस बिखरे-बिखरे रहते हैं.
बिछड़ने वाले, तेरे लिए एक मशवरा है
कभी हमारा ख्याल आए तो अपना ख्याल रखना।
वो जा रहे थे और मैं खामोश खड़ा देखता रहा,
बुज़ुर्गों से सुना था कि पीछे से आवाज़
नही देते……
अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…
तुझे याद करता हूँ तो हर दर्द से निजात
मिलती है…!!
लोग यू ही हल्ला मचाते है
की दवाईयाँ महँगी हो गयी है…