लब ये ख़ामोश रहेंगे… ये तो वादा है मेरा…!
कुछ अगर कह दें निगाहें… तो ख़फा मत होना…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लब ये ख़ामोश रहेंगे… ये तो वादा है मेरा…!
कुछ अगर कह दें निगाहें… तो ख़फा मत होना…
मयखाने की इज्जत का सवाल था,
बाहर निकले तो हम भी थोडा लड़खड़ा के चल दिए….
बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह;
जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाता है!
ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के हुजूम में, “वफ़ादार” तो हमेशा तनहा ही मिलते हैँ…
देखे जो बुरे दिन तो ये बात समझ आई,
इस दौर में यारों का औकात से रिश्ता है।
हमारी महोबत ऐसी है…..
आपके ना होते हुऐ भी आपसे ही रहेगी…
उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को…..
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा..
इस दुनिया के सभी लोग आपके लिये बहोत अच्छे है,
बस शर्त इतनी सी है की आपके दिन अच्छे होने चाहिये !!
जब तुम्हे सुकून की कमी महसूस हो तो अपने रब से तौबा किया करो…….. क्योकि इंसान के गुनाह ही है जो उसे बैचैन रखते है
वो जो निकले थे घर से मशालें लेकर बस्तियां फूकने, अँधेरे मकान में अपनों को अकेला छोड़ आये हैं|