जमीन जल चुकी है

जमीन जल चुकी है
आसमान बाकी है,
दरख्तों तुम्हारा
इम्तहान बाकी है…!

वो जो खेतों की मेढ़ों
पर उदास बैठे हैं,
उन्हीं की आँखों में अब
तक ईमान बाकी है..!!

बादलों अब तो बरस
जाओ सूखी जमीनों पर,
किसी का मकान गिरवी है
और किसी का लगान
बाकी है…!!!

अब मैं कुछ कहता नही

अब मैं कुछ कहता नही तुमसे ,,
बस लिखकर मिटा देता हूँ ,
भेजता नही हूँ तुम्हे ,
इससे मेरा कहना भी हो जाता है और तुम सुनते भी नहीं |

वास्ता नही रखना

वास्ता नही रखना .. तो फिर मुझपे .. नजर क्यूं
रखती है …
मैं किस हाल में जिंदा हूँ … तू ये सब खबर क्यूं रखती है ….