उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो
छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो
छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
तेरे शहर के कारीगर भी अजीब हैं ऐ दिल….
काँच की मरम्मत करते हैं , पत्थर के औजारों से..
समझ लेता हूँ मीठे लफ्जों की कडवाहटें..हो गया है अब जिंदगी का तजुर्बा थोडा बहुत..
दर्द फिर बगावत पर उतर आयें हैं सभी ,
लगता है जख्मों को तूने कुरेदा है अभी ।
दिल मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया…
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दुसरा दिजीए… ये तो टुटा हुआ है….!!
हजार गम मेरी फितरत
नही बदल सकते ;
क्या करू मुझे आदत
है मुस्कुराने की ।
कितनी झूठी होती है मोहब्बत की कस्मे, देखो तुम भी ज़िंदा हो और में भी…..!!
उम्र छोटी है तो क्या..
जीवन का हरेक मंजर देखा हैं..!
फरेबी मुस्कुराहटें देखी है..
बगल मे छुपा खंजर देखा हैं…
दूर रहा करो यारो मुझसे टुटा हुआ हु चुभ भी सकता हू!!
कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा,
अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे।
वैसे इतना हक तो बनता ही है मेरा तूम पर,
दूआ है तुम्हें कोई मेरी तरह ना चाहें..!!