तेरा ही जिक्र होता है हर एक अल्फाज में मेरे..
वो भी इस सलीके से कि, कहीं तू बदनाम ना हो जाए..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरा ही जिक्र होता है हर एक अल्फाज में मेरे..
वो भी इस सलीके से कि, कहीं तू बदनाम ना हो जाए..!!
मुझ से ही रूठ कर मुझे ही याद करते हो…
.तुम्हें तो ठीक से नाराज़ होना भी नहीं
आता|
सजदा कहूँ या कहूँ इसे मोहब्बत
तेरे नाम में आये अक्षर भी
हम मुस्कुरा कर लिखा करते हैं
किसी रोज़ शाम के वक़्त…
सूरज के आराम के वक़्त…
मिल जाये साथ तेरा…
हाथ में लेके हाथ तेरा…
कोई खूबसूरत सी दुआ कूबूल की उस खुदा नें
जो आमीन की तरह मुझे तुम मिले हो |
अभी तो दिल में हलकी सी खलिश महसूस होती है…
बहुत मुमकिन है कल इसका नाम मुहब्बत हो जाए …
सुनो जरा फिर से याद आ जाओ ना ..!
कुछ आँसुओ ने अर्ज़ी दी है रिहाई की ..
कौन करता है वफ़ाओं के तकाज़े तुमसे……?
हम तो एक झूठी तसल्ली के तलबगार थे बस….!!
बाज़ारे नुमाइश में , मैं क़िरदार सँभालू |
घर बार सँभालू कि तेरा प्यार सँभालू |
तमाम रात सहर की दुआएँ माँगी थीं
खुली जो आँख तो सूरज हमारे सर पर था|