अब ये न पूछना

अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ…

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कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!

कर्म भूमि पर

कर्म भूमि पर फल के किये श्रम सबको करना पड़ता है..
रब सिर्फ लकीरें देता है, रंग हमें खुद भरना पड़ता है !!