न जाने इस जिद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं
मै भी नहीं और तुम भी नही…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
न जाने इस जिद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं
मै भी नहीं और तुम भी नही…
मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों,
अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!
ज़िंदगी ये चाहती है कि……
..
.ख़ुदकुशी कर लूँ ….
…
मैं इस इंतज़ार में हूँ कि… कोई हादसा हो जाये|
मेरी ज़िन्दगी में खुशियाँ तेरे बहाने से हैं .. आधी
तुझे सताने से हैं, आधी तुझे मनाने से हैं…
मरने का मज़ा तो तब है, जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये |
मतलब निकल जाने पर पलट के देखा भी नही
रिश्ता उनकी नज़र में कल का अखबार हो गया…..!!
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई,
जो आदमी भी मिला, बन के इश्तिहार मिला।
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को,
कि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का
मन करता है कभी- कभी।।
मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में,
. . .
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं…
जिंदगी जख्मो से भरी हैं वक़्त को मरहम बनाना सीख लो , हारना तो मौत के सामने फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो…