सच्चाई के आईने, काले हो गये।
बुजदिलो के घर मेँ, उजाले हो गये॥
झुठ बाजार मेँ, बेखौफ बिकता रहा।
मैने सच कहा तो, जान के लाले हो गये॥……
लहू बेच-बेच कर, जिसने परिवार को पाला ।
वो भुखा सो गया, जब बच्चे कमानेवाले हो गये।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सच्चाई के आईने, काले हो गये।
बुजदिलो के घर मेँ, उजाले हो गये॥
झुठ बाजार मेँ, बेखौफ बिकता रहा।
मैने सच कहा तो, जान के लाले हो गये॥……
लहू बेच-बेच कर, जिसने परिवार को पाला ।
वो भुखा सो गया, जब बच्चे कमानेवाले हो गये।
आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!!
ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों…
की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं…
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..
हारने के बाद इंसान नहीं टूटता…..
हारने के बाद लोगों का रवय्या उसे टूटने पर मज़बुर करता है…..
बहुत याद आते है
वो पल …….
जिसमे आप हमारे और हम तुम्हारे थे…
अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की, मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..
ये भी अच्छा है कि हम किसी को अच्छे नही लगते …
कम से कम
कोई रोएगा तो नही मेरे मरने पर ..
आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा ,
मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |
दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने,
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं
घर के चूल्हे को भरम है कि वो पालता है हमे…!!
प्यार तो माँ की हथेली से चुराती है रोटियाँ…….!