पेड़ से जाते देखा
मैंने एक परिंदे को
याद आ गया तेरा जाना
छोड़ कर दिल के घरोंदे को।।
काश परिंदा लौट आये।।
Category: प्यार शायरी
कही बार मिलते हैं
कही बार मिलते हैं हम बेवजह,
बेवजह हम वजह ढूंड ही लेते हैं।
एक सुबह हो जाती हैं
एक सुबह हो जाती हैं हर शाम मेरी,
ऐसा भी एक रात रहती हैं मेरे दिन में।
जब से तुम्हारा पता
जब से तुम्हारा पता मालूम हुआ हैं।
पता नही क्या क्या भूल गया हूँ मैं।
तुमसे हारा मैं
तुमसे हारा मैं, जिस बात पर,
तुम्हारे बात ना करने की बात थी।
ये बेवजह मेंरा वजह ढूंढ
ये बेवजह मेंरा वजह ढूंढ लाना,
तेरी दी हुई आदतों में से ही एक हैं।
मैंने जैसे तुम्हे चाहा
मैंने जैसे तुम्हे चाहा,
तुमने चाहा कब?
अब ना करो प्यार की बातें,
फ़ोकट हुआ हैं प्यार अब।
वो अनजान चला है
वो अनजान चला है ईश्वर को पाने की खातिर..
बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर ही है……….
MOTHER का M ही
MOTHER का ‘M’ ही
महत्वपूर्ण है ।
क्योंकि
‘M’ के बिना
बाकी सब OTHER है ।
मुझे
मुझे
कहना है अभी
वह
शब्द
जिसे कहकर
निःशब्द को जाऊँ
मुझे
देना है अभी
वह सब
जिसे देकर
निःशेष हो
जाऊँ
मुझे
रहना है अभी
इस तरह
कि मैं रहूँ
लेकिन
‘मैं’ रह न जाऊँ I