इक तेरा हुस्न काफ़िराना था
दूसरी और शराबखाना था,
रास्ता इख़्तियार जो भी करता
आज अपना इमान जाना था…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक तेरा हुस्न काफ़िराना था
दूसरी और शराबखाना था,
रास्ता इख़्तियार जो भी करता
आज अपना इमान जाना था…..
पीना है तो पी… पर इस तरह
घर को मयखाना ना बना
मयखाने को घर ना बना
अब तो यकीन करो, मेरे इन आसूँओ
को देखकर तुम..!!
कि मुझे तुम्हारे सिवा किसी और से मोहब्बत ही
नही…
Ek Ek saans uske liye katlgah thi ,
Uska gunah itna tha ki wo Begunah thi.
आँख से आंसू कैसे नीचे गिरने दूँ
उसकी यादें मिटटी में मिल जाएँगी
बदलेँगे नहीँ ज़ज्बात मेरे तारीखोँ की तरह…
बेपनाह इश्क करने की ख्वाहीश उम्र भर रहेगी
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
जख्मों को अपने अब ढक कर चलता हूँ…
आजकल लोगों के लहजों में ही नमक झलकता है…!!
मिट जाते है वो
औरों को मिटाने वाले
.
लाश कहा रोती है?
रोते हैं जलाने वाले
हसरतें मचल गयी जब तुमको सोचा एक पल के लिए;
सोचो दीवानगी तब क्या होगी,जब तुम मिलोगे मुझे उम्र भर के लिए…..