इक तेरा हुस्न

इक तेरा हुस्न काफ़िराना था

दूसरी और शराबखाना था,

रास्ता इख़्तियार जो भी करता

आज अपना इमान जाना था…..

कभी किसी को

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता

जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता

तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता

हसरतें मचल गयी

हसरतें मचल गयी जब तुमको सोचा एक पल के लिए;
सोचो दीवानगी तब क्या होगी,जब तुम मिलोगे मुझे उम्र भर के लिए…..