किसे मालूम था इश्क इस क़दर लाचार करता है,
दिल उसे जानता है बेवफा मगर प्यार करता है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसे मालूम था इश्क इस क़दर लाचार करता है,
दिल उसे जानता है बेवफा मगर प्यार करता है…
किसकी खातिर अब तु धड़कता है ऐ दिल..
अब तो कर आराम, कहानी खत्म हुई !
सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है..
जो सिख जाता है वही हार जाता है..
हर वक़्त ख्याल उसका ऐ दिल,
क्या मैं तेरा कुछ भी नहीं लगता..
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है…
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !
रूक गया है आसमां मेँ चाँद चलते चलते . . . .
तुमको अब छत से उतरना चाहिए . . . .
कल जहाँ में था, आज वहाँ कोई और है।
वो भी एक दौर था, ये भी एक दौर है।
तुम मिल जाओ…..निजात मिल जाये,
रोज़ जीने से……………..रोज़ मरने से..!!
हंसने पे भी आ जाते हैं आँखों में आंसु
कुछ लोग मुझे ऐसी दुआ दे कर गये हैं |
ख़ुशीयो का दौर भी आ जाएगा एक दिन, ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर ……