न दिल न ज़ज्बे न जोशे उल्फत,
तकल्लुफन मुस्करा रहा है.
वो अपने बेजान चेहरे पे,
जानदार चेहरे सजा रहा है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
न दिल न ज़ज्बे न जोशे उल्फत,
तकल्लुफन मुस्करा रहा है.
वो अपने बेजान चेहरे पे,
जानदार चेहरे सजा रहा है.
मुद्दतों बाद आज फिर परेशान हुआ है ये दिल ….,,,
ना जाने किस हाल मै होगा
मुझसे रूठने वाला !!
वो खुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा..!
जिसे नफरत है उसके बनाये बन्दों से..!
वो बचपने की नींद तो अब ख़्वाब हो गई
क्या उम्र थी कि रात हुई और सो गए ।
बह चुभती है मेरी आंखों में अँधेरा हमसफ़र लगता है
तेरी दी हुई तन्हाई का असर ये है अपने आप से डर लगता है
हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”..
अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
हां और ना दोनों एक ही शब्द है,
जिन्हें जवाब मिला वो बर्बाद ही हुआ है..
इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म कर ऐ खुदा,
जिसके लिये बनाया है उससे मिलवा भी दे अब ज़रा..!
सिर्फ हम ही नहीं परेशान याद में
उनकी,
काजल तो उनकी आँखों का भी कुछ
बिखरा सा लगता हैं !!
आज इतना ज़हर पिला दो की मेरी साँस ही रुक जाये,
सुना है साँस रुकने पर बेवफा भी देखने आती है ।