उठ न जाए ऐतबार ज़माने का….!!
ऐ मुहब्बत, किसी को तो रास आ तू….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उठ न जाए ऐतबार ज़माने का….!!
ऐ मुहब्बत, किसी को तो रास आ तू….!!!
मुझे जानू कहने वाली गर्ल फ्रेंड
नही भी मिली तो चलेगा पर…….
मुश्किल वक़्त पे भाई कहने वाला दोस्त होना चाइये….
नही है शिकवा हमे किसी की बेरुखी से..
शायद हमे ही नही आता दिलो में घर बनाना..
बदल गया है जमाना, पहले मां के पैर छूकर घर से निकलते थे…
और अब मोबाईल फोन की
बैटरी फुल करके….
बस दुआएँ बटोरनें आया हूँ, माँ ने कहा,
.
दौलत तो साथ जाती नहीं”..
आखिर थक हार के, लौट आया मैं बाजार-ए – दुनिया से
.
.
कि यादों को बंद करने के ताले, कहीं भी नहीं मिले___!!
मेरे हर किस्से में तुम आते हो !!!
पर मेरे हिस्से में कब आओगे ?
आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और
जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
तुम मुझे भूल जाओ ..ये तुम्हारी मर्जी ..
“लेकिन” मैं क्या करूँ ..
मुझे तो भूलना भी नहीं आता !
किस्मत बुरी या मै बुरा फैसला हो ना सका !
मै सबका होता गया कोई मेरा हो ना सका !!