बदलो के बीच

ना जाने बदलो के बीच, कैसी साजिश हुयी …..
मेरा घर था मिटटी का, मेरे ही घर बारिश हुयी

जब भी बात करो

जब भी बात करो,मुस्कुराया करो |
जैसे भी रहो,खिलखिलाया करो |
जो भी हो दर्द,सह जाया करो |
ज्यादा हो,तो किसी से कह जाया करो |
जीवन एक नदी है,इसमे बहते जाया करो |
ऊँच नीच होगी राह में,इनसे उबर जाया करो |
अपनापन जहाँ महसूस हो,स्वर्ग वहीं पाया
करो |
बहुत सुंदर है यह संसार,खुश रहकर,और सुंदर बनाया
करो |
इसलिए,जब भी बात करो, मुस्कुराया करो |