बिछड कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था…
बेशक ख्वाब ही था मगर हसीन कितना था…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बिछड कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था…
बेशक ख्वाब ही था मगर हसीन कितना था…
मेरे दिल की हालत भी मेरे वतन जैसी है….
जिसको दी हुकुमत उसी ने बर्बाद किया….
कुछ सीख लो आइने से.. मोहब्बत का हुनर..
जो तोड़ने वाले का अक्श भी बसा लेता है खुद में
झूठे सिक्कों में भी उठा देते हैं अक्सर सच्चा माल
शक्लें देख के सौदा करना काम है इन बंजारों का
कुछ मीर के अब्यात थे कुछ फ़ैज़ के मिसरे
इक दर्द का था जिन में बयाँ याद रहेगा
इन चिरागों में तेल ही कम था
क्यू गिला भीर हमें हवा से रहे|
ज़िन्दगी में जो भी हाँसिल करना हो,
उसे वक्त पर हाँसिल करो ।
क्योंकि, ज़िन्दगी मौके कम
और धोखे ज्यादा देती है ।।
खुदा की एक मिस कॉल से पूरा इंडिया दहशत में है।।
अगर फ़ोन आया तो क्या होगा
प्रकृति समय-समय पर इंसान को रिमाइंडर देती रहती है
कि तू किरायेदार की तरह रह,
मालिक बनने की कोशिश मत कर।
रहता तो मुझको नशा तेरी य़ादों का ही है ।
कोई पूछे तो कह देता हूँ …पी रखी है।।
आँखों से पानी गिरता है ,
तो गिरने
दीजिये …….
कोई पुरानी तमन्ना ,
पिघल रही होगी ……