तू होगा ज़रा पागल सा
तूने मुझको है चुना…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तू होगा ज़रा पागल सा
तूने मुझको है चुना…
खमोश लब हैं झुकी है पलकें,
दिलों में उल्फत नई नई है ,,
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में,
अभी मुहब्बत ये नई-नई है,,
अभी न आएगी नींद तुमको ,
अभी न हमको सुकूं मिलेगा ,,
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,
अभी ये चाहत नई नई है ,,
जो खानदानी रईस हैं वो ,
मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है ,
तुम्हारी ये दौलत नई नई है ,
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा,
कि आ के बैठे हो पहली सफ में,
अभी से उड़ने लगे हवा में ,
अभी ये शोहरत नयी नयी है ||
Fiza main mahakti shaam ho tum
Pyar main chalakta jam ho tum
Seene main chupaaye firte hain hum yaad tumari
Meri zindagi ka doosra naam ho tum
हमसे जो करोगे रुसवाई
तो यूँ ही भूकम्प आएगा रे बेवफा हरजाई…
अजब सा तिलिस्म कर गया भूकम्प तेरा आना,
नफ़रत भरे लोग हाथ थामे सड़कों पे नज़र आये !
Zindagi ek chahat ka silsila hai,
Koi mil gaya to koi bichad gaya,
Jise har pal maanga maine duaon mein,
Khuda se mujhe wo bina maange hi mil gaya…
दीपक बोलता नहीं उसका
प्रकाश परिचय देता है ।
ठीक उसी प्रकार…
आप अपने बारे में कुछ न बोले,
अच्छे कर्म करते रहे
वही आपका परिचय देगे
मुझसे नफरत करनी हैं हो बेशककर पर..
कमबख्त उतनी तो कर जितनी मैंने मौहब्बत की थी…
इश्क़ होना जरुरी है शायरी के लिए….
अगर कलम लिखती तो हर दुकानदार शायर होता…
एक ही ख्वाब देखा है कई बार मैंने…
तेरी साड़ी में उलझी है चाबियां मेरे घर की