इश्तेहार दे दूँ कि ये दिल खाली है,
वो जो आया था किरायेदार निकला!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्तेहार दे दूँ कि ये दिल खाली है,
वो जो आया था किरायेदार निकला!
सौ बार मरना चाहा,
निगाहों में डूब कर
वो निगाह झुका लेते हैं,
हमें मरने नहीं देते……
डूबकर देख एक पल मुझमें,
ढूँढ ले मुश्क़िलों के हल मुझमें….।।
जागा हुआ ज़मीर वो आईना है
सोने से पहले रोज़ जिसे देखता हूँ मैं |
अपना मुक़द्दर ग़म से बेग़ाना अगर होता
तो फिर अपने-पराए हमसे पहचाने कहाँ जाते |
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ
ग़म-ए-हयात से कह
दो ख़रीद लाये मुझे|
लम्हों मे खता की है
सदियों की सज़ा पाई |
ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ
क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं|
काँटे बहुत थे दामन-ए-फ़ितरत में ऐ ‘अदम’
कुछ फूल और कुछ मेरे अरमान बन गये|
तुमसे मीलने और तुम में मीलने में ….
जो फ़र्क़ है….
वही इश्क़ हैं……