मरने का मजा तो तब है ..
दोस्त
जब जनाजे में कातिल भी आकर रोये..!!
Category: दर्द शायरी
दो लब्ज़ क्या लिखे
दो लब्ज़ क्या लिखे तेरी याद मे..
लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
एक वो वक़्त था
एक वो वक़्त था जब काना बाँसुरी बजाता और सारी गोपियाँ घर से बहार निकल आती और एक आज है जब कचरावाला आके सीटी मारता है और सब गोपियां घर के बहार…
याद रखते हैं
याद रखते हैं हम आज भी उन्हें पहले की तरह…; कौन कहता है फासले मोहब्बत की याद मिटा देते हैं।
तू छोड़ रहा है तो
तू छोड़ रहा है तो इसमें तेरी ख़ता क्या हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता !!
तू पंख ले ले
तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे,
फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!
हम निगाहों में थे
उसके तेवर समझना भी
आसां नहीं बात औरों की थी,
हम निगाहों में थे
आईना होजाये
आईना होजाये मेरा इश्क़, उनके हुस्न का ….
क्या मज़ा हो दर्द,अगर खुद ही दवा लेने लगे…
तराजू मोहब्बत का
तराजू मोहब्बत का था
बेवफाई भारी पड गयी|
आप ने तीर चलाया
आप ने तीर चलाया तो कोई बात न थी…
ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…