तेरे होने पर

तेरे होने पर भी ये जो अकेलापन मारता है…
पता नहीं, ये मेरी मुहब्बत की हार है या तेरी बेरुख़ी की जीत|

नज़र उसकी चुभती है

नज़र उसकी चुभती है दिल में कटार की तरह
तड़प कर रह जाता हूँ मैं किसी लाचार की तरह
उसकी मुलाकात दिल को बड़ा सुकून देती है
उससे मिल कर दिन गुज़रता है त्योहार की तरह|

पिघली हुई हैं

पिघली हुई हैं, गीली चांदनी,
कच्ची रात का सपना आए

थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी,
नींद में कोई अपना आए

नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…