जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब,
हम नादान थे … एक शाम की मुलाकात को ..
जिंदगी समझ बैठे ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब,
हम नादान थे … एक शाम की मुलाकात को ..
जिंदगी समझ बैठे ..
किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही
फूलों की आरज़ू में काँटों पे चल रहे हैं
मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती,
अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए.
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
औकात क्या है तेरी, “ए जिँदगी”
चार दिन कि मुहोब्बत
तुझे तबाह कर देती है…..iii
हम भी फूलों की तरह कितने बेबस है,
कभी खुद टूट जाते हैं तो कभी लोग तोड ले जाते हैं…!!!
बेशक तेरे कॉल की कोई उम्मीद तो नहीं लेकिन..
पता नहीं क्या सोच कर मैं आज भी नम्बर नहीं बदलता…!!
तोङ दिए मैने अपने घर के सारे आइने आज…..
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प्यार मेँ ठुकराए लोग मुझसे देखे नहीँ जाते…..
आज हम अकेले है तेरे बगैर
दिल बे – करार है आज तेरे बगैर
वक्त नहीं रुकता कभी किसी के लिए
पर धड़कने रुक जायेगी आज तेरे बगैर …
ना जाने कौन कौन से विटामिन और प्रोटीन हैं तुझ में….?
जब तक तेरा दीदार न कर लूँ तब तक बैचेनी रहती है