मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया,
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अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला…
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Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया,
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अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला…
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वो मुझसे रिश्ता तोड़ कर
चली गयी,
बस ये कहकर,
मैं तो तुमसे मोहब्बत सीखने आई थी,
किसी और के लिए..!!
काश! मैं ऐसी बात लिखूँ तेरी याद में
तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में..
बड़ी कशमकश में हूँ बच्चो को क्या तालीम दूँगा, मुझे सिखाया गया था कुछ और मेरे काम आया कुछ और………
वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर,
बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर,
बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर,
बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
एक अजीब सी जंग छिड़ी है रात के आलम में..
आँख कहती है सोने दे और दिल कहता है रोने दे..
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा,
पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया….
खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार सुबह-सुबह ???
? और मेरा दिन इसी रौनक में गुजर जाता है !!???