और भी बनती लकीरें, दर्द की शायद कई
शुक्र है तेरा खुदा, जो हाथ
छोटा सा दिया..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
और भी बनती लकीरें, दर्द की शायद कई
शुक्र है तेरा खुदा, जो हाथ
छोटा सा दिया..
किस्मत ही मिली थी ऐसी .. कि चैन से जीने
कि सूरत ना हुई,
जिसे चाहा उसे पा न सके .. जो मिला उससे
मोहब्बत ना हुई…!!
तजुर्बे ने शेरों को खामोश रहना सिखाया;
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता;
कुत्ते भौंकते हैं अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए;
मगऱ जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बयाँ करता है।
जल जाते है मेरे अंदाज से मेरे दुश्मन….
क्योंकि एक मुद्दत से मैंने न प्यार बदला और न दोस्त…
अंदाज़ ऐ मोहब्बत है बड़ा नटखट सा उन का…
बांहों में गिर कर कहते हैं सम्भालो हम को….
आपको कोई अच्छा इंजीनियर मिले तो बताना,
मुझे इंसान से इंसान को जोड़ने वाला पुल बनाना है।
मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम
तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे …
उसे पता था कि उसकी हसी मुझे पसन्द है..
इस्लिये उसने जब भी दर्द दिया मुस्कुराकर दिया..!!
किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में.
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें….!!
अपनी जमीन, अपना नया आसमान खुद पैदा करुगा
मांगने से ऐसी ज़िंदगी कब मिलती है
खुद ही अपना नया इतिहास पैदा कर…