दीवाना पूछता है
ये लहरों से बार-बार…
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं
बताओ किधर गईं…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दीवाना पूछता है
ये लहरों से बार-बार…
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं
बताओ किधर गईं…!!!
वो ता-उम्र कहते रहे
तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं,
अंतत: दिल का दौरा
ये दाग भी धो गया!
गरूर तो नहीं करते लेकिन इतना यक़ीन ‘ज़रूर’ है..
कि अगर याद नहीं करोगे तो ‘भुला’ भी नहीं सकोगे.
तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे
मौला
वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी
इबादत कहाँ |
हर ज़ुबां में कह के देख लिया
हाल ए दिल उनसे,
एक ख़ामोशी को भी अब
आज़मां के देखते हैं |
खुश हम हो तो सुकून से सोती है माँ
सागर का एक अनमोल मोती है माँ
कदर कर ले जमाना माँ की
क्योंकि जन्नत में हमसे पहले दाखिल होती है माँ|
सोचता तक नहीं हूँ यारा कभी, मेरे मुकद्दर मै क्या क्या है
मुस्करा कर मुलाकात करता हूँ वक्त के हर एक लम्हे से|
आसमान की ऊँचाई
नापना छोड़ दे…
जमीन की गहराई बढ़ा,
अभी ओर नीचे गिरेंगे लोग..
अजब ये है कि मोहब्बत नहीं की अब तक;
ग़ज़ब ये है कि फिर भी शायरी का हुनर रखते हैं…
वो तैरते तैरते डूब गये,
जिन्हे खुद पर गुमान था…
और वो डूबते डूबते भी तर गये..
जिन पर तू मेहरबान था ।