कैसी उलझन बढा रहे हो

हिचकीया दीलाकर ये कैसी उलझन बढा रहे हो
आंखे बंद है फिर भी नजर आ रहे हो
बस इतना बता दो हमें याद कर रहे हो
या अपनी याद दिला रहे हो

अजीब हूं मैं

अजीब हूं मैं भी कि अपने आप को गंवाना चाहता हूँ … कि अपने आप से पीछा छुड़ाना चाहता हूँ … !!

दिल गया था

दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता

मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखु|