घर न था

उस के लिये महल भी थे क़िलए भी थे मगर
सुल्तान के नसीब में कोई भी घर न था

हीरे बन गये

जिने था हीरो से प्यार उनको हीरे मिल गये,
फकीरा जिने था ईश्वर से प्यार वो खुद हीरे बन गये

हारने की आदत

कमबख्त इस दिल को हारने की आदत हो गयी है!
वरना हमने जहाँ भी दिमाग लगाया फ़तेह ही पाई है!!