मुझसे नफरत करनी हैं हो बेशककर पर..
कमबख्त उतनी तो कर जितनी मैंने मौहब्बत की थी…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझसे नफरत करनी हैं हो बेशककर पर..
कमबख्त उतनी तो कर जितनी मैंने मौहब्बत की थी…
इश्क़ होना जरुरी है शायरी के लिए….
अगर कलम लिखती तो हर दुकानदार शायर होता…
एक ही ख्वाब देखा है कई बार मैंने…
तेरी साड़ी में उलझी है चाबियां मेरे घर की
बिछड कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था…
बेशक ख्वाब ही था मगर हसीन कितना था…
मेरे दिल की हालत भी मेरे वतन जैसी है….
जिसको दी हुकुमत उसी ने बर्बाद किया….
कुछ सीख लो आइने से.. मोहब्बत का हुनर..
जो तोड़ने वाले का अक्श भी बसा लेता है खुद में
झूठे सिक्कों में भी उठा देते हैं अक्सर सच्चा माल
शक्लें देख के सौदा करना काम है इन बंजारों का
कुछ मीर के अब्यात थे कुछ फ़ैज़ के मिसरे
इक दर्द का था जिन में बयाँ याद रहेगा
इन चिरागों में तेल ही कम था
क्यू गिला भीर हमें हवा से रहे|
ज़िन्दगी में जो भी हाँसिल करना हो,
उसे वक्त पर हाँसिल करो ।
क्योंकि, ज़िन्दगी मौके कम
और धोखे ज्यादा देती है ।।