मुझको ये ध्यान तेरे ध्यान में रह कर आया
के तेरा ध्यान मेरा ध्यान बंटाने में है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझको ये ध्यान तेरे ध्यान में रह कर आया
के तेरा ध्यान मेरा ध्यान बंटाने में है
मोहब्बत सिर्फ देखने से नहीं,कभी कभी बातो से भी हो जाती है…
हम तो बस सवाल है
जवाब अगर नही है,तो आपका
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई…कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए..
कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब
ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….
तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने,
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातो ने !!
हर बार रिश्तों में और भी मिठास आई है,
जब भी रूठने के बाद तू मेरे पास आई है !!
तुझसे मिलता हूँ तो सोच में पड़ जाता हूँ..
के वक्त के पाँव में जंजीर पह्नाऊ कैसे..
दिल की हेराफेरी संभलकर कीजिये हुजूर..
अंजाम ऐ मोहब्बत जुर्म बड़ा संगीन होता है
चाँद भी झांकता है अब खिड़कियों से,मेरी तन्हाइयों का चर्चा अब आसमानों में है !!