कलम में जोर

कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है,

मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है……..

छोड़ ही दें तो अच्छा

हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”..

अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….