बड़ी अजीब सी खबर फैली हैं ज़माने मैं
जो मुझे याद भी नहीं करती मुझे लगता हैं वो मेरी खबर रखती हैं|
Category: गुस्ताखियां शायरी
वो जान ही गये
वो जान ही गये कि हमें उनसे मुहबबत है,
आंखो की मुखबिरी का मज़ा हमसे पूछिए..
वास्ता नही रखना
वास्ता नही रखना .. तो फिर मुझपे .. नजर क्यूं
रखती है …
मैं किस हाल में जिंदा हूँ … तू ये सब खबर क्यूं रखती है ….
कागज़ की कास्तियाँ
कागज़ की कास्तियाँ मियां समंदर मैं नहीं चलती|
किसी ने भेज कर
किसी ने भेज कर काग़ज़ की कश्ती…बुलाया है समन्दर पार मुझ को…
मियां इश्क़ से
मियां इश्क़ से पहले तो हम भी इंसान हुआ करते थे सुना है।
ना मेरा प्यार
ना मेरा प्यार कम हूआ ना उस की नफ़रत…
अपना अपना फ़र्ज़ था दोनो अदा कर गये…
ऐ खुदा जिन्दगी कैसी भी
ऐ खुदा जिन्दगी कैसी भी गुजारू
.
लेकिन.
.
आईना जब सामने हो
.
.तो कभी शरमिन्दगी न हो
तुम्हारी आदत हैं
चलो माना तुम्हारी आदत हैं तडपाना,
मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो|
दिल मजबूर कर रहा है
दिल मजबूर कर रहा है ,,
तुमसे बात करने को ..!!
और कम्बखत ज़िद करता है की ,,
शुरुआत तुम करो |