खोटे सिक्के जो अभी अभी चले है बाजार में।
वो भी कमियाँ खोज रहे है मेरे किरदार में।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खोटे सिक्के जो अभी अभी चले है बाजार में।
वो भी कमियाँ खोज रहे है मेरे किरदार में।।
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..
वो आँख भी मिलाने की इजाजत नहीं देते
और
ये दिल उनको निगाहों में
बसाने पे तुला है !
तेरे करीब आकर बडी उलझन में हूँ,
मैं गैरों में हूँ या तेरे अपनो में हूँ|
ज़िन्दगी का सफर इस कदर,
‘सुहाना’ होना चाहिए,
सितम भी अगर हो तो,
दिल ‘शायराना’ होना चाहिए।
ये खामोशी जो अब के गुफ्तगू के बीच ठहरी है,
यही इक बात सारी गुफ्तगू में सबसे गहरी है|
जला कर हाथ पर दीप ,ख़ैर मांगते रहे उनके लिए…
वो उठे और किसी ग़ैर का हाथ थाम के चल दिए!!
खूबसूरती से धोखा न खाइये जनाब,
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो,
मांगती तो खून ही है!!!
सिर्फ महसूस किये जाते हैं ..
कुछ एहसास कभी लिखे नहीं जाते…
जीने वालों के कैसे कैसे हाल करती है…..
ये ज़िन्दगी भी… कमाल करती है…