पूछ रही है आज मेरी शायरियाँ मुझसे कि,
कहा उड़ गये वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे ?
Category: गुस्ताखियां शायरी
कितने तोहफे देती है
कितने तोहफे देती है ये मोहब्बत भी यार,
दुःख अलग रुस्वाई अलग, जुदाई अलग तन्हाई अलग…
गुलाब खिलते रहे
गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में,
हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में.
खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको,
देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको…
किसी सूरत से
किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये
इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना
मुड़ के देखा तो
मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा
दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|
हसरतों को फिर से
हसरतों को फिर से आ जावे न होश,
दिल हमारी मानिये रहिये ख़मोश…
रूप देकर मुझे
रूप देकर मुझे उसमें किसी शहज़ादे का
अपने बच्चों को कहानी वो सुनाती होगी |
मसर्रतों के खजाने
मसर्रतों के खजाने तो कम निकलते है…
किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते है…
जिसको तलब हो हमारी
जिसको तलब हो हमारी , वो लगाये बोली ,
सौदा बुरा नहीं … बस “ हालात ” बुरे है ..!!
आँखों मे ख्वाब
आँखों मे ख्वाब उतरने नही देता,
वो शख्स मुझे चैन से मरने नही देता…
बिछड़े तो अजब प्यार जताता है खतों मे,
मिल जाए तो फिर हद से गुजरने नही देता… !!!