दुआ जो लिखते हैं

दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है
वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है
बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं
ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|

सिर्फ अपना ही

मोहब्बत तो सिर्फ शब्द है..
इसका अहसास तुम हो..

शब्द तो सिर्फ नुमाइश है..
जज्ब़ात तो मेरे तुम हो..

वो अच्छे हैं

वो अच्छे हैं तो बेहत्तर, बुरे हैं तो भी कुबूल।
मिजाज़-ए-इश्क में, ऐब-ए-हुनर नहीं देखे जाते|