औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में।
खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में।
और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में।
गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।
Category: गरूर
मुझे भी कुछ
मुझे भी कुछ गहरा सा..!!
.
.
ऐ बेवफा
.
.
जिसे कोई भी पढे., समझ बस तुम सको..!!