जिसकी तलवार की छनक से अकबर

जिसकी तलवार की छनक से
अकबर का दिल घबराता था
वो अजर अमर वो शूरवीर वो महाराणा कहला
ता था
फीका पड़ता था तेज सूरज का ,
जब माथा ऊचा करता था ,
थी तुझमे कोई बात राणा , अकबर भी तुझसे ड
रता था

आवाज को नहीं

आवाज को नहीं , अपने अलफ़ाज़ को ले जाओ बुलंदी पर ।।।
बादलों की गरज नहीं , बारिश की बौछार फूल खिलाती है ।।।