उस तीर से

उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,

लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।

वो शख़्स जो

वो शख़्स जो आज मुहब्बत के नाम से बौखला गया….

किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था….

उसने माँगी थी

उसने माँगी थी मुझसे जरा सी दुआ,साथ मैंने ही उसके खुदा कर दिया..!!
एक खुदगर्ज़ “ग़ज़ल”

नाम जिसको दिया अपनी पहचान दी,
उसने मुझको ही सबसे जुदा कर दिया..!
उम्रभर साथ चलने का वादा किया,छोड़ तनहा मुझे अलविदा कर दिया..!!

एक मंज़िल से भटका मुसाफिर था वो,
रास्ते में मिला हमसफ़र बन गया,
उसने माँगी थी मुझसे जरा सी दुआ,साथ मैंने ही उसके खुदा कर दिया..!!

रिश्ते-नाते निभाए ज़माना हुआ,
अब तो जज़्बात से खेलते हैं सभी,
पहले उसने मुझे खुद से बेखुद किया,चूकते ही नज़र गुमशुदा कर दिया..!!

मैं खतावार उसको नहीं मानता,
फ़र्ज़ दोनों ने अपना है पूरा किया,
कर वफ़ा मुझको हांसिल जुदाई हुई,उसने हक़ बेवफा का अदा कर दिया..!!

होगी तकलीफ थोड़ी तो सह लूंगा मैं,
गुज़री यादों के साये में रह लूंगा मैं,
दोस्तों,कैसे दूँ अब उसे बददुआ,जिसपे “वीरान” दिल था फ़िदा कर दिया..!!

ज़िन्दगी तूने लहू ले के

ज़िन्दगी तूने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं|
तेरे दामन में मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं|
मेरे इन हाथों की चाहो तो तलाशि ले लो,
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं|

हमने देखा है कई ऐसे ख़ुदाओं को यहाँ,
सामने जिन के वो सच मुच का ख़ुदा कुछ भी नहीं|

या ख़ुदा अब के ये किस रंग से आई है बहार,
ज़र्द ही ज़र्द है पेड़ों पे हरा कुछ भी नहीं|

दिल भी इक ज़िद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह,
या तो सब कुछ ही इसे चाहिये या कुछ भी नहीं|

बुरा मान गये!

गले से

उन को लगाया तो बुरा मान गये!
यूँ नाम ले के बुलाया तो बुरा मान गये!

ये हक़ उसी ने दिया

था कभी मुज को लेकिन;
जो आज प्यार जताया तो बुरा मान गये!

जो मुद्द्तों से मेरी नींद

चुरा बैठे है;
में उस के ख्वाब में आया तो बुरा मान गये!

जब कभी साथ में होते थे, गुनगुनाते

थे;
आज वो गीत सुनाया तो बुरा मान गये!

हंमेशा खुद ही निगाहों से वार करते थे;
जो तीर

हम ने चलाया तो बुरा मान गये!