फासले इस कदर आज है रिश्तों में, जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किश्तों में
Category: Zindagi Shayri
एक ही चौखट पे
एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है भटक जाते है वो लोग जिनके हजारों खुदा होते है।
हमारे बिन अधूरे तुम
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे, कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..
अगर मालूम होता
अगर मालूम होता की इतना तडपता है इश्क, तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते..
हो सके तो
हो सके तो दिलों में रहना सीखो, गुरुर में तो हर कोई रहता है…
न रुकी वक्त की गर्दिश
न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला, पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!
सियाही फैल गयी
सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले, और एक एक कर के डूब गए..
ये भी क्या सवाल हुआ
ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, .दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
आँखों की दहलीज़ पे
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….
आँखों की दहलीज़ पे
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….