मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी, दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था…!!!
Category: Zindagi Shayri
शामिल नहीं हैं
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे….!!!!
लड़ता आया हूँ
बस यही सोच कर हर मुश्किलो से लड़ता आया हूँ..
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते..!!!
मुश्किलें तमाम है
जिन्दगी में मुश्किलें तमाम है,
फिर भी इन होठों पे मुस्कान है,
जीना जब हर हाल में है तो,
फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है !!
बसेरा है तेरे शहर मेँ
अजीब लोगोँ का बसेरा है तेरे शहर मेँ,
गुरूर मेँ मिट जाते हैँ मगर याद नहीँ करते…
ठंडी नही होती
रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नही होती।
मैने फुटपाथो पर भी,जलते चूल्हे देखे है।
बिखर गयी है ज़िन्दगी
कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी…
किसी ने समेटा ही नहीं…
हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…
रूह से निकल जाओ
बिछड़ना है तो रूह से निकल जाओ..
रही बात दिल की तो उसे हम देख लेंगे..