तेरी मोहब्बत भी किराये के घर की तरह थी,कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई .
Category: Zindagi Shayri
दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना
दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना….
सुना है कम बोलने से बहुतकुछ सुलझ जाता है….???
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है, आखरी सास तक तेरा इंतजार करू !
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता,
ए दोस्त…
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मैं जन्मजात चरसी और वो, गोल्डफ्लैक
सी लड़की.
बड़ा ही खामोश सा
बड़ा ही खामोश सा अँदाज है तुम्हारा…..
?
समझ नही आता फिदा हो जाऊँ या फनाह हो जाऊँ…..
~❤?
पहेले लोग बाल्कनी में आने
पहेले लोग बाल्कनी में आने की राह देखते थे, अब ” on line ” आने की देखते है ? !! रिश्ता वही सोच नई
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए.
तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़ है
तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़ है, इस बात को सब से छुपाना भी इश्क़ है, यूँ तो रातों को नींद नही आती, पर रातों को सो कर भी जाग जाना इश्क़ है।
तू अपने ग़रीब होने का
तू अपने ग़रीब होने का दावा न कर, ऐ दोस्त,
हमने देखा है तुझे बाज़ार में “तुवर की दाल” खरीदते हुए…
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !