तुझे शिकायत है
कि मुझे बदल दिया वक़्त ने…!कभी खुद से भी सवाल कर’क्या तूं वही
है’…….?
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुझे शिकायत है
कि मुझे बदल दिया वक़्त ने…!कभी खुद से भी सवाल कर’क्या तूं वही
है’…….?
ज़माने तेरे सामने
मेरी कोई हस्ती नहीं,लेकिन कोई खरीद ले इतनी भी ये सस्ती नहीं…
दुनिया सिर्फ नतीजो को इनाम देती कोशिशो को नही.
वो अनजान चला है
जन्नत को पाने की खातिर
बेख़बर को इत्तला कर दो की
माँ-बाप घर पर है|
जिंदगी की थकान में गुम हो गया,
वो अल्फाज़ जिसे “सुकून” कहते है…
अलग दुनिया से हटकर भी कोई दुनिया है मुझमें,
फ़क़त रहमत है उसकी और क्या मेरा है मुझमें.
मैं अपनी मौज में बहता रहा हूँ सूख कर भी,
ख़ुदा ही जानता है कौनसा दरिया है मुझमें.
इमारत तो बड़ी है पर कहाँ इसमें रहूँ मैं,
न हो जिसमें घुटन वो कौनसा कमरा है मुझमें.
दिलासों का कोई भी अब असर होता नहीं है,
न जाने कौन है जो चीख़ता रहता है मुझमें.
नहीं बहला सका हूँ ज़ीष्त का देकर खिलौना
कोई अहसास बच्चे की तरह रोता है मुझमें.
सभी बढ़ते हुए क्यों आ रहे हैं मेरी जानिब,
कहाँ जाता है आखि़र कौनसा रस्ता है मुझमें.
वक्त जरूर लगा पर मैं सम्भल गया क्योंकि।
मैं ठोकरों से गिरा था किसी के नज़रों से नहीं।।
उंगली मेरी वफ़ा पे ना उठाना लोगों,
…
जिसे शक हो वो एक बार निभा कर देखे ।
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम,
पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
सीख जाओ वक्त पर किसी की
कदर करना…
शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में
इतने अकेले रह गए है
कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार
दोस्त भी नहीं बचे”