कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!
तुम तो फुहार सी थीं….
पर तुम्हारी यादें… मूसलाधार हैं…
कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की,
कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं….
दबे पाँव आती रही यादें सब तुम्हारी,
एक बार भी यादों के संग तुम नहीं आये…
जिंदगी से यही गिला है मुझे ,
वो बहुत देर से मिला है मुझे ..
भांप ही लेंगे, इशारा सरे महफ़िल जो किया…..!
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं….
कितने चालाक है कुछ मेरे अपने भी …
उन्होंने तोहफे में घड़ी तो दी …
मगर कभी वक़्त नही दिया…!!!
कागज़ कलम मैं तकिये के पास रखता हूँ,
दिन में वक्त नहीं मिलता,मैं तुम्हें नींद में लिखता हूँ..
हम उसके बिन हो गये है सुनसान से,
जैसे अर्थी उठ गयी हो किसी मकान से !!
तुम रूक के नहीं मिलते हम झुक के नहीं मिलते
मालूम ये होता है कुछ तुम भी हो कुछ हम भी|