“ये इक दिन मौत से सौदा करेगी,
जरा…होशियार रहना ज़िंदगी से”..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
“ये इक दिन मौत से सौदा करेगी,
जरा…होशियार रहना ज़िंदगी से”..
क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का.,
किसी काम से आये थे, किसी काम के ना रहे..
जन्म-जन्मांतर के
टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं,
बस सामने वाले को
आपसे कोई काम पड़ना चाहिए..!!
Ruk gayi aaj ye kahkar kalam meri,
ehsaas kimti hai,
zara kam kharch karo..
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
गज़ब की चीज़ हैं तुम्हारी मुस्कराहट भी…..
कम्बख़त क़ातिल भी हैं और ग़म की दवा भी…..!!
दुख की बात ये है की….
वक्त बहुत कम है….!!
ख़ुशी की
बात ये है की….
अभी भी वक्त है….!!
जैसी सोच..
वैसी जिंदगी….!!
Hal to puch luu tera par darta hu aawaz se teri..
Jab jab suni he kambakt mahoobat hi hui he..
Hamse bhulaya nahi jaata ek uska pyaar,
log jigar vale hai, jo roj naya mahbub bana lete hai..
Usne chupke se meri aankho par hath rakhkar pucha batao kaun,
mai muskarakar dhire se bola “Meri zindagi”..